Ladli Laxmi Yojana News: बाल विवाह रोकने में मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना की अहम भूमिका, अन्य राज्यों के लिए बना मिसाल

Ladli Laxmi Yojana News: मध्यप्रदेश में बाल विवाह की रोकथाम के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। इनमें मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना की विशेष भूमिका है। इस योजना का प्रभाव यह है कि समाज में बेटियों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आ रहा है। लोग अब अपनी बेटियों की शिक्षा और कल्याण को प्राथमिकता देने लगे हैं, जो बाल विवाह की रोकथाम के लिए एक सकारात्मक कदम सिद्ध हो रहा है। लाडली लक्ष्मी योजना की अपार सफलता के बाद अन्य राज्यों ने भी बेटियों के लिए कई योजनाएं शुरू की है।

योजना की शुरुआत और उद्देश्य

लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत 2007 में बेटियों के समग्र विकास और समाज में उनके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। इस योजना का मुख्य लक्ष्य लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को बेहतर बनाना है। वर्ष 2023-24 में 1 लाख 21 हजार से अधिक लड़कियों का पंजीकरण हुआ है, जिन्हें 48.88 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।

योजना के सकारात्मक प्रभाव

लाडली लक्ष्मी जैसी योजनाओं के प्रभाव से बालिकाओं का विद्यालय में अधिक समय तक रहना संभव हो पाया है। विवाह में देरी के कारण माध्यमिक शिक्षा में नामांकन में वृद्धि देखी गई है। विवाह और मातृत्व में देरी के चलते किशोर गर्भावस्था के जोखिमों में कमी आई है, जो राज्य में मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। इस योजना के माध्यम से बेटियों की शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों में सुधार हुआ है जिससे उनका जीवन बेहतर हुआ है।

अन्य राज्यों में योजना का प्रभाव

मध्यप्रदेश की इस पहल को देखकर अन्य राज्यों ने भी बेटियों के लिए समान योजनाएँ आरंभ की हैं। दिल्ली सरकार ने लाड़ली योजना, उत्तर प्रदेश ने कन्या सुमंगला योजना और बिहार ने मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना आदि लागू की है, जिनका मुख्य उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना है।

लाड़ली लक्ष्मी योजना ने समाज में बेटियों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब बेटियों को बोझ के रूप में नहीं, बल्कि भविष्य की शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। इस योजना के माध्यम से लिंग अनुपात में सुधार और लड़कियों के जन्म, शिक्षा तथा सुरक्षा के प्रति जागरूकता में भी वृद्धि हुई है।

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